अपने दिल के साथ की नाइंसाफी …
मैने अपने दिल के साथ की नाइंसाफी ,
रहने देती उसे उसकी कलम के साथ तन्हाईयों में ,
क्यों डाल दी उसपर गृहस्थी की जिम्मेदारी !
खोए रहने देती उसे गजलों और रूबाइयों में ।
मैने अपने दिल के साथ की नाइंसाफी ,
रहने देती उसे उसकी कलम के साथ तन्हाईयों में ,
क्यों डाल दी उसपर गृहस्थी की जिम्मेदारी !
खोए रहने देती उसे गजलों और रूबाइयों में ।