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15 Jun 2020 · 1 min read

अपने घर में हुए पराए (बुजुर्ग दिवस)

अपने घर में हुए पराए
जिनको अरमानों से पाला
जिनको हम दुनिया में लाए
होम किया सारा जीवन
सुध बुध सब विसराए
जीवन के अंतिम पड़ाव में
अपनों ने ही नयन फिराए
अपने घर में हुए पराए
बात बात पर आनाकानी
कदम कदम पर अपमान मिला
जीवन के उपकारों का
बुढ़ापे में दे दिया शिला
इतने व्यस्त हुए हैं बेटे
हाल पूछने ना आए
अपने घर में हुए पराए
जिन कंधों पर हमने इनके
जीवन का बोझ उठाया
भूख प्यास भूल कर अपनी
आगे सदा बढ़ाया
वे जर्जर कंधे अब संतान को रास ना आए
हम अपने घर में हुए पराए

Language: Hindi
10 Likes · 5 Comments · 192 Views
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