अपना हक़ अदा करिए
वफ़ा करिए या दगा करिए
बस अपना हक़ अदा करिए
पहले ही बहुत बोझ है दिल पे
कोई बात दिल में न रखा करिए
इंतिहा हो चुकी है दवाओं की
दोस्तों अब फ़क़त दुआ करिए
वक़्त का बस यही तक़ाज़ा है
ज़रा फ़ासले से मिला करिए
बहुत सुन चुके इस जमाने की ‘अर्श’
अब दिल की बात सुना करिए