Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Jan 2021 · 1 min read

“अपना वतन”

आसमानी रंग भर के,
ग़म-खुशी के गीत गाता
लाड़ला अपना वतन ।

पावनी धरती वतन की,
दूर तक जिसकी महक।
एक भारत का तराना,
गूँजता है दूर तक।
हूक देते पंक्षियों की,
बोलियाँ आकाश में,
चाँद के उस पार जाता,
लाड़ला अपना वतन।

झूमते कश्मीर के बागान,
केशर क्यारियां ।
वर्फ़ में डूबी हिमाचल की,
हठीली वादियां ।।
गाँव की खुशहाल,
मिट्टी से चली सौंधी हवा,
मदमती खुशबू लुटाता,
लाड़ला अपना वतन।।

वेशभूषाएँ अलग,
सबकी जुदा हैं बोलियां।
भदभदी नदियाँ,
पहाड़ों से उपजती बूटियां।।
एक लहराता तिरंगा,
एक ही सबका चमन।
दूध की नदियां बहाता
लाड़ला अपना वतन ।।

हर समय हुंकार भरता,
सैनिकों का हौसला ।
एक झंडे के तले,
अपने वतन का काफला ।।
सरजमीं इसकी
हजारों साल से जिंदादिली ।
जान की बाजी लड़ाता,
लाड़ला अपना वतन ।।

रचनाकाल
३०/०१/२०२१
संध्या समय
जगदीश शर्मा सहज
अशोकनगर |

Language: Hindi
Tag: गीत
2 Likes · 4 Comments · 476 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*साबुन से धोकर यद्यपि तुम, मुखड़े को चमकाओगे (हिंदी गजल)*
*साबुन से धोकर यद्यपि तुम, मुखड़े को चमकाओगे (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
ऐ!मेरी बेटी
ऐ!मेरी बेटी
लक्ष्मी सिंह
कैसे कह दें?
कैसे कह दें?
Dr. Kishan tandon kranti
बीज अंकुरित अवश्य होगा (सत्य की खोज)
बीज अंकुरित अवश्य होगा (सत्य की खोज)
VINOD CHAUHAN
जीवन समर्पित करदो.!
जीवन समर्पित करदो.!
Prabhudayal Raniwal
#जयंती_पर्व
#जयंती_पर्व
*Author प्रणय प्रभात*
तुम पलाश मैं फूल तुम्हारा।
तुम पलाश मैं फूल तुम्हारा।
Dr. Seema Varma
प्रेम की अनुपम धारा में कोई कृष्ण बना कोई राधा
प्रेम की अनुपम धारा में कोई कृष्ण बना कोई राधा
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
*हर शाम निहारूँ मै*
*हर शाम निहारूँ मै*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
गज़ल (राखी)
गज़ल (राखी)
umesh mehra
मुख्तशर सी जिन्दगी हैं,,,
मुख्तशर सी जिन्दगी हैं,,,
Taj Mohammad
दिखावा
दिखावा
Swami Ganganiya
उम्र गुजर जाती है किराए के मकानों में
उम्र गुजर जाती है किराए के मकानों में
करन ''केसरा''
262p.पूर्णिका
262p.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
25 , *दशहरा*
25 , *दशहरा*
Dr Shweta sood
सुमति
सुमति
Dr. Pradeep Kumar Sharma
जब कोई आपसे बहुत बोलने वाला व्यक्ति
जब कोई आपसे बहुत बोलने वाला व्यक्ति
पूर्वार्थ
मुस्कुराए खिल रहे हैं फूल जब।
मुस्कुराए खिल रहे हैं फूल जब।
surenderpal vaidya
झरोखा
झरोखा
Sandeep Pande
सुन्दर सलोनी
सुन्दर सलोनी
जय लगन कुमार हैप्पी
कविता: सपना
कविता: सपना
Rajesh Kumar Arjun
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Dr. Sunita Singh
रिश्तों का गणित
रिश्तों का गणित
Madhavi Srivastava
दीपावली
दीपावली
डॉ. शिव लहरी
इतनी भी तकलीफ ना दो हमें ....
इतनी भी तकलीफ ना दो हमें ....
Umender kumar
दोस्ती ना कभी बदली है ..न बदलेगी ...बस यहाँ तो लोग ही बदल जा
दोस्ती ना कभी बदली है ..न बदलेगी ...बस यहाँ तो लोग ही बदल जा
DrLakshman Jha Parimal
बे-ख़ुद
बे-ख़ुद
Shyam Sundar Subramanian
तक्षशिला विश्वविद्यालय के एल्युमिनाई
तक्षशिला विश्वविद्यालय के एल्युमिनाई
Shivkumar Bilagrami
तेरे प्यार के राहों के पथ में
तेरे प्यार के राहों के पथ में
singh kunwar sarvendra vikram
तात
तात
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
Loading...