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4 Jan 2019 · 1 min read

अन्तर्यामी

“तू तो बड़ा है अन्तर्यामी
सब कुछ जाने तू भगवान्।
तू है परमपिता मेरा प्रभु
मैं हूँ प्रभु तेरी ही संतान।
तेरी ही भक्ति करती हूँ मैं
तू बन जा मेरा दयानिधान।
तूने जो कहा वो मैंने माना
मैं जो कहूँ उसे अब तू मान।
कहते हैं घट घट में तू व्यापे
फिर क्यों दुखी गरीब के प्राण।
जब तू है दुष्टों के भीतर भी
क्या उन्हें इस सत्य का भान।
मानवता करुणा ममत्व का
दे प्रभु इन मूर्खों को ज्ञान।

रंजना माथुर
जयपुर (राजस्थान) भारत
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
©

Language: Hindi
190 Views
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