Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Aug 2018 · 3 min read

अनोखा प्रेम

हमारे मोहल्ले में गीता आंटी रहती है हम अक्सर उनके यहाँ जाया आया करते है l कल सुबह की ही बात है हम जैसे ही आंटी के दरवाजा के पास पहुंचे, अंदर से किसी को डांटने की आवाज आ रही थी l
सुरेश तूने फिर से कप तोड़ दिया l अभी परसो ही तुमने काँच के गिलास तोड़े थे और आज ये कप तोड़ दिया l जरा सा￰ भी इसका मन काम में नहीं लगता l
ध्यान कहाँ रहता है तुम्हारा ?
जब से आये हो कभी कुछ तोड़ते तो कभी कुछ l सोलह साल के हो गए हो, कोई बच्चा नहीं रहे l मैट्रिक में दाखिला लिया है तुमने, अब तो सुधर जाओ l
ये डाट सुरेश को पड़ रही थी l सुरेश आंटी का नौकर है l
मैं जैसे ही बरामदे में पहुंचा आंटी बड़बड़ाती हुई रसोई से बाहर निकल गई l
आंटी की तबियत ज्यादातर खराब ही रहा करती थी l जिसके कारण उनसे घर का सारा काम ठीक से नहीं हो पता था l इसलिए सुरेश को एक साल पहले रखा गया था l
सुरेश अपने माँ के साथ गाँव में रहता था सुरेश के पिता नहीं थे l जब वो छोटा सा था तब ही उसके पिता की मृत्यु हैजा बीमारी के कारण हो गया था l और घर का सारा खर्च उसके माँ पर आ गया था l सुरेश की माँ दूसरों की खेत में मजदूरी करती थी, फिर भी दो वक्त का खाना नहीं जुटा पाती थी l इसलिए सुरेश को उसकी माँ ने शहर आंटी के यहाँ काम करने लिए भेजी थी ताकि उससे जो पैसा आएगा, उससे उसके परिवार का गुजर बसर हो जायेगा l
सुरेश आगे पढ़ना तो नहीं चाहता था l पर आंटी ने जबरदस्ती उसका नामांकन करा दी थी l और जब सारा काम ख़त्म हो जाता था तो खाली वक्त में आंटी ही सुरेश को पढ़ाती थी l पता नहीं क्यों, पर सुरेश को आंटी में अपनी माँ की झलक दिखाई देती थी l
आंटी के रसोई से बाहर जाते ही उनकी सास ने रसोई में प्रवेश की और सुरेश से कहा, पता नहीं इसे किस बात का घमंड है, हर छोटी- छोटी बात पर गुस्सा हो जाती है दो कप ही तो टूटे है ऐसा क्या कर दिया तूने l कोई पहाड़ तो नहीं तोड़ दिया, हर वक्त गुस्सा से लाल पिली हुई रहती है l
सुरेश को दादी की बात अच्छी नहीं लगी, और वो चुपचाप अपने कमरे में चला गया l
उसकी आँखे दरवाजे पर लगी हुई थी l की थोड़ी देर में आंटी उसके लिए खाना लेकर आई और बोली “आज फिर बिना खाये सोने की तैयारी में थे तुम्हे पता है न मेरा गुस्सा कितना तेज है अब कुछ टूटता- फूटता है तो हमें गुस्सा आ जाता है और तुम्हे डाट देती हूँ थोड़ा संभल कर काम किया करो” जी आंटी कह कर उसने अपने खाने की प्लेट ले ली l आज उसे फिर दो रसगुल्ले मिले थे l इसलिए सुरेश को आंटी में अपनी माँ दिखाई देती थी l उसकी माँ की तरह अपना गुस्सा उतरते ही पिघले मोम सा स्नेह लुटा जाती थी l कभी दो रसगुल्ले, कभी दूध, कभी दही, खिला कर अपने हाथों से उसका सिर थपथपा जाती थी l
सुरेश उनके इस अनोखा प्रेम की मिठास में डूब कर अपनी माँ को याद कर लेता था l

Language: Hindi
461 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हम जंग में कुछ ऐसा उतरे
हम जंग में कुछ ऐसा उतरे
Ankita Patel
देव दीपावली
देव दीपावली
Vedha Singh
"वक्त की औकात"
Ekta chitrangini
सच
सच
Sanjay ' शून्य'
विकृत संस्कार पनपती बीज
विकृत संस्कार पनपती बीज
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
होली (होली गीत)
होली (होली गीत)
ईश्वर दयाल गोस्वामी
💐प्रेम कौतुक-358💐
💐प्रेम कौतुक-358💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
पत्नी जब चैतन्य,तभी है मृदुल वसंत।
पत्नी जब चैतन्य,तभी है मृदुल वसंत।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
हमको बच्चा रहने दो।
हमको बच्चा रहने दो।
Manju Singh
होरी के हुरियारे
होरी के हुरियारे
Bodhisatva kastooriya
मुसलसल ठोकरो से मेरा रास्ता नहीं बदला
मुसलसल ठोकरो से मेरा रास्ता नहीं बदला
कवि दीपक बवेजा
लघुकथा - एक रुपया
लघुकथा - एक रुपया
अशोक कुमार ढोरिया
मोदी जी ; देश के प्रति समर्पित
मोदी जी ; देश के प्रति समर्पित
कवि अनिल कुमार पँचोली
3011.*पूर्णिका*
3011.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
खूब उड़ रही तितलियां
खूब उड़ रही तितलियां
surenderpal vaidya
शक्ति स्वरूपा कन्या
शक्ति स्वरूपा कन्या
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
बच्चों के मन भाता तोता (बाल कविता)
बच्चों के मन भाता तोता (बाल कविता)
Ravi Prakash
इसे कहते हैं
इसे कहते हैं
*Author प्रणय प्रभात*
ईर्ष्या
ईर्ष्या
नूरफातिमा खातून नूरी
कड़वा सच~
कड़वा सच~
दिनेश एल० "जैहिंद"
❤️एक अबोध बालक ❤️
❤️एक अबोध बालक ❤️
DR ARUN KUMAR SHASTRI
इंसान हूं मैं आखिर ...
इंसान हूं मैं आखिर ...
ओनिका सेतिया 'अनु '
भीष्म के उत्तरायण
भीष्म के उत्तरायण
Shaily
कुछ समझ में ही नहीं आता कि मैं अब क्या करूँ ।
कुछ समझ में ही नहीं आता कि मैं अब क्या करूँ ।
Neelam Sharma
"कुछ रिश्ते"
Dr. Kishan tandon kranti
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मन की दुनिया अजब निराली
मन की दुनिया अजब निराली
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
हम अभी ज़िंदगी को
हम अभी ज़िंदगी को
Dr fauzia Naseem shad
आरक्षण
आरक्षण
Artist Sudhir Singh (सुधीरा)
I sit at dark to bright up in the sky 😍 by sakshi
I sit at dark to bright up in the sky 😍 by sakshi
Sakshi Tripathi
Loading...