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16 Jun 2020 · 1 min read

अनुभव

अनुभव का पिटारा
है मस्तिष्क के भंडारगृह का
वह कोना
जो भरा है खचाखच
उन बेशकीमती यादगार लम्हों से
जो समय की रेत पर
फिसल-फिसल कर
रगड़ खा-खाकर
आज इतने निखर गये हैं
कि मैं लेकर अपनी हथेली पर
उन बेशकीमती सुघड़ लम्हों के तारतम्य संग
बुनती रही भविष्य अपना
और आज
परमेश्वर द्वारा गढ़ी गयी किसी भी
मूरत पर चस्पा कर दावे से कह सकती हूँ
कि भाई
यह है सौ फीसदी सही
क्योंकि यह मेरा निज अनुभव है
निजानुभूति है।
नव किसलय की कोंपलें
शनैः-शनैःजब रूप धारण कर लेती हैं
विशाल विटप का
तब इस यात्रा के मध्यांतर
आते हैं कई वैचारिक अतिरेक
परम्पराओं के टकराव के तूफ़ान
परिवार के बिखराव के सैलाब
सुलझाने में इन ताने-बानों को
उस पल होते हैं कारगर
एक अचूक रामबाण औषधि-से
वह बेशकीमती लम्हे अनुभवों के।

रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्वरचित व मौलिक रचना
©

Language: Hindi
1 Comment · 476 Views
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