Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Sep 2017 · 3 min read

अनहोनी

अनहोनी

अचानक सड़क पर एक चीख सुनाई पड़ती है । छ्ज्जे परखड़े दो छात्रआपस मे गुफ्तगू कर रहे थे । धुंधलका गहराने लगा था । सड़के सूनी हो गयी थी । फिर ये चीख कैसी घ्ध्यान से देखने पर दृस्टिगतहुआ कि दो गुंडे एक राहगीर पर चाकू से वार कर रहे थे । उसको लूट रहे थे । छज्जे पर खड़े ये दोनों छात्र ही घटना के चश्मदीद गवाह थे । खून से लथपथ राहगीर मृत्यु के मुंह मे समा गया । दोनों छात्रों को इन गुंडो ने देख लिया था अत रूअचानक हुई इस अनहोनी घटना से दोनों भयग्रस्त हो गए थे। दिमाग मे असुरक्षा ए भविष्य को लेकर आशंकाओ के झंझावात चलने लगे थे । लगता था शांतचित मे उठा ये तूफान कुछ विनाश करके ही जाएगा । हे ईश्वर कभी कुसंगति मत देना !चाहे कुसंगी कितना ही मीठा बोले ।प्यार से आचरण करे उसका मन्तव्य हानी पहुचाना ही होता है
दोनों छात्रों के मन मे उठा तूफान उनकी रातों कि नींद गायब करने वाला था । चिंता दृ भय से ग्रस्त दोनों युवा थे । सोनू ए मोनु मात्र 18 वर्ष के थे । उनका सुनहरा भविष्य उनके सामने था ए अपने सुनहरे सपनों को वे इस तरह उजड़ता नहीं देख सकते थे अत रूदोनों ने निश्चय किया कि वे शहर छोड़ कर चले जाएंगे । वे प्रतिभाशाली थे ए मेहनती थे ए वे अपनी क्लास के होनहार छात्र थे । उन्होने तूफान कि दिशा मोड़ने कि ठान ली । उन्होने ना केवल उक्त सत्र मे विश्राम किया बल्कि दूसरे विषय के इम्तहान कि तैयारी शुरू कर दी । दोनों मेधावी छात्र अपने प्रथम प्रयास मे ही सफल रहे । उन्होने लोक सेवा परीक्षा के प्रथम चरण कि परीक्षा पास कर ली । जिस शहर को उन्होने चुना था वह शहर अत्यंत सम्पन्न एवम विकसित था । रात्री मे भी इस शहर मे दुकाने खुली रहती थी । छात्रो को रात्री मे भ्रमण करना ए देर रात पेट पूजा करना अच्छा लगता था । उनका जीवन जैसे पटरी पर लौट रहा था जीवन कि नौका बड़ी तेजी से अपने गंतव्य कि ओर अग्रसर थी । परंतु विधाता को कुछ और ही मंजूर था । सोनूए मोनु कि नौका किनारे लगे ए ईश्वर को पसंद नहीं आया था ।
रात्री के मध्य प्रहर मे जब रात अपनी चरम पर होती है जब जन समुदाय अपनी चिरनिद्रा मे लीन था । दोनों सोनू और मोनु अपनी साधना मे व्यस्त थे । श्री मद भागवत गीता मे लिखा है कि भोगीजन सारी रात सोते हैं और योगी जन सारी रात साधना मे व्यस्त रहते हैं । रात्री के शीतल प्रकाश मे शांत चित हो वे अध्ययन मे लगे रहते हैं । अचानक सोनू मध्य रात्री के प्रहर मे मोनु से बाइक से रात्री मे खुले बाजार को चलने की जिद करता है और भेल पूरी खाने और ताजगी के लिए सैर सपाटे पर चलने को कहता है। वे दोनों उक्त मध्य रात्री मे चावडी बाजार पहुँचते हैं ए और भेल एवम कॉफी पी कर वे वापस हॉस्टल का रुख करते हैं । हॉस्टल बाजार से कुछ ही दूरी पर था । मोनु ड्राइव कर रहा था और सोनू पीछे बैठा था । अचानक सोनू के मोबाइल की घंटी बजने लगी ए सोनू ने बाइक पर खड़े होकर मोबाइल निकालने की कोशिश की ।तभी मोनु ने एक शराबी को लड़खड़ाते कदमो से सड़क के बीचोंबीच इधर दृउधर चलते देखा । बाइक पर जब तक मोनु नियंत्रण करता बाइक शराबी से भिड़ चुकी थी । शराबी को बचाते दृबचाते मोनु दुर्घटना ग्रस्त हो चुका था । शराबी बड़बड़ाते हुए पुन रूउठ खड़ा हुआ औए बढ़ गया । मोनु के सिर मे चोट लगी थी ए उसका सिर फट गया था । सोनू किसी तरह बाइक पर बैठा कर मोनु को मेडिकल कॉलेज ले गया । परंतु सी एम ओ ने उसे जबाब दे दिया । डाक्टर ने समझाया कि मोनू कुछ ही क्षणो का मेहमान है । सोनू पर तो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था । उसका वहाँ अपना कोई नहीं था जिस मृत्यु के भय से भाग कर उन्होने यहाँ शरण ली थी ए नए सपने देखे थे । वही सहर उनके विछोह का कारण बना गया था । नियति को यही मंजूर था । सोनू अपने मित्र के वियोग मे फूट फूट कर रो रहा था ए सारे प्रयासों के बावजूद मोनू की नौका बीच मझधार मे डूब चुकी थी । विधाता ने शायद सभी के भाग्य मे लिख दिया है कि कौन कहाँ और कैसे अपनी अंतिम यात्रा पूरी करेगा ।

कहानी …….डा प्रवीण कुमार श्रीवास्तव सीतापुर

Language: Hindi
1 Comment · 346 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
View all
You may also like:
जिंदगी का चमत्कार,जिंदगी भर किया इंतजार,
जिंदगी का चमत्कार,जिंदगी भर किया इंतजार,
पूर्वार्थ
शायरी
शायरी
goutam shaw
आयी थी खुशियाँ, जिस दरवाजे से होकर, हाँ बैठी हूँ उसी दहलीज़ पर, रुसवा अपनों से मैं होकर।
आयी थी खुशियाँ, जिस दरवाजे से होकर, हाँ बैठी हूँ उसी दहलीज़ पर, रुसवा अपनों से मैं होकर।
Manisha Manjari
पुष्प
पुष्प
Er. Sanjay Shrivastava
जिस दिन आप कैसी मृत्यु हो तय कर लेते है उसी दिन आपका जीवन और
जिस दिन आप कैसी मृत्यु हो तय कर लेते है उसी दिन आपका जीवन और
Sanjay ' शून्य'
यादगार बनाएं
यादगार बनाएं
Dr fauzia Naseem shad
धर्म और संस्कृति
धर्म और संस्कृति
Bodhisatva kastooriya
तुम अगर कांटे बोओऐ
तुम अगर कांटे बोओऐ
shabina. Naaz
वादा तो किया था
वादा तो किया था
Ranjana Verma
■ लानत ऐसे सिस्टम पर।।
■ लानत ऐसे सिस्टम पर।।
*Author प्रणय प्रभात*
चित्रकार उठी चिंकारा बनी किस के मन की आवाज बनी
चित्रकार उठी चिंकारा बनी किस के मन की आवाज बनी
प्रेमदास वसु सुरेखा
खट्टी-मीठी यादों सहित,विदा हो रहा  तेईस
खट्टी-मीठी यादों सहित,विदा हो रहा तेईस
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
-- अजीत हूँ --
-- अजीत हूँ --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
विजेता
विजेता
Paras Nath Jha
पीड़ा थकान से ज्यादा अपमान दिया करता है ।
पीड़ा थकान से ज्यादा अपमान दिया करता है ।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
चांद सी चंचल चेहरा 🙏
चांद सी चंचल चेहरा 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
24/225. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/225. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आज का यथार्थ~
आज का यथार्थ~
दिनेश एल० "जैहिंद"
मियाद
मियाद
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
संतुलन
संतुलन
Dr. Pradeep Kumar Sharma
ये भावनाओं का भंवर है डुबो देंगी
ये भावनाओं का भंवर है डुबो देंगी
ruby kumari
दिल के कोने में
दिल के कोने में
Surinder blackpen
राम सिया की होली देख, अवध में हनुमंत लगे हर्षांने।
राम सिया की होली देख, अवध में हनुमंत लगे हर्षांने।
राकेश चौरसिया
उम्मीद से अधिक मिलना भी आदमी में घमंड का भाव पैदा करता है !
उम्मीद से अधिक मिलना भी आदमी में घमंड का भाव पैदा करता है !
Babli Jha
#पंचैती
#पंचैती
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
हाँ, तैयार हूँ मैं
हाँ, तैयार हूँ मैं
gurudeenverma198
पढ़िए ! पुस्तक : कब तक मारे जाओगे पर चर्चित साहित्यकार श्री सूरजपाल चौहान जी के विचार।
पढ़िए ! पुस्तक : कब तक मारे जाओगे पर चर्चित साहित्यकार श्री सूरजपाल चौहान जी के विचार।
Dr. Narendra Valmiki
रस्म ए उल्फत भी बार -बार शिद्दत से
रस्म ए उल्फत भी बार -बार शिद्दत से
AmanTv Editor In Chief
जीवन यात्रा
जीवन यात्रा
विजय कुमार अग्रवाल
संबंधों के नाम बता दूँ
संबंधों के नाम बता दूँ
Suryakant Dwivedi
Loading...