अनभिज्ञ हैं वो , आधुनिक विचारों की दुनिया के परिणामों से
1.
अनभिज्ञ हैं वो , आधुनिक विचारों की दुनिया के परिणामों से
तभी तो स्वयं को ढूंढते फिर रहे , इस अथाह समंदर में
2.
ज्वार – भाटा की सी हो गयी है मानिंद, ये जिन्दगी
क्षितिज की तलाश में ,भटक रहे हैं लोग
3.
दिवंगत होती , संस्कृति और संस्कारों के प्रति आस्थाएं
आधुनिकता के दावानल में , जल रहे हैं लोग