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6 Oct 2017 · 1 min read

अनपढ़

अनपढ़

अनपढ़ वे नहीं जो बाचना
नहीं जानते चिट्ठियाॅ।
तथा तोड़ते हैं सड़क
किनारे बैठ गिट्ठियाॅ।।
अनपढ़ वे हैं जो नहीं
पढ़ पाते पानी का मूल्य।
‘पादप’ नहीं होते हैं
जिनके लिए देव-तुल्य।।
अन्न को फेकतें अथवा
छोड़ते हैं थालियों में।
मानो ‘अनपढ़ ‘ उन्हें जो
कचरा बहाये नदियों में।।
वाणी में हो जिनके
अपशब्दों की भरमार ।
पढ़ -लिख कर भी होते
हैं वे अनपढ़ घोर गंवार ।।

मोती प्रसाद साहू

Language: Hindi
1 Like · 328 Views
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