अदायें
शुभ प्रभात शुभोदयम
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अदाओं के तेरे जलवे भी
कुछ हैं कम नहीं नकहत
हैं नफरत गर जो हमसे तो
बगावत की बू आने दे
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बगावत भी अजब क्या हैं
मोहब्बत में तेरा नकहत
हमें अश्के समन्दर में
स्वयं को तू सजाने दे
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सजाने दे न मातम के
मोहब्बत में कफन को तू
मेरे हमदर्द हैं जो भी
उन्हें आंसू बहाने दे
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नहीं रुसवाइयां भी
बेवजह होती कभी हैं यूं
मेरे मौत पर भी शिवम्
उन्हें खुशियाँ मानाने दे !!!
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शिवानन्द चौबे (कुमार शिवम् )