सरप्लस सुख / MUSAFIR BAITHA
एक तरफ
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
नज़रें बयां करती हैं, लेकिन इज़हार नहीं करतीं,
2- साँप जो आस्तीं में पलते हैं
सूरज
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
You have climbed too hard to go back to the heights. Never g
इन आँखों के भोलेपन में प्यार तुम्हारे लिए ही तो सच्चा है।
तेवरी को विवादास्पद बनाने की मुहिम +रमेशराज
नव कोंपलें स्फुटित हुई, पतझड़ के पश्चात
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
मुक्तक- जर-जमीं धन किसी को तुम्हारा मिले।
◆हरे-भरे रहने के लिए ज़रूरी है जड़ से जुड़े रहना।
मन है एक बादल सा मित्र हैं हवाऐं
बहुत कुछ अधूरा रह जाता है ज़िन्दगी में
बनारस
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
आस्था और भक्ति की तुलना बेकार है ।
कहाँ समझते हैं ..........