Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Apr 2019 · 2 min read

अटल फैसला

लघुकथा
शीर्षक – अटल फैसला
=================
सुबह से शाम हो गई लेकिन नेहा के चेहरे पर, रवि ने मुस्कुराहट न देखी जो कॉलेज के दिनों में उसके मासूम से चेहरे पर झलकती थी,,, कॉलेज के बाद उसकी शादी उसकी दूर की रिश्तेदारी में हो गयी थी और एक माह बाद ही कार एक्सिडेंट में उसका पति चल बसा,,, आज नेहा की ननद की शादी थी लेकिन उसका मुरझाया हुआ चेहरा रवि की बर्दास्त के वाहर था…
– ” मुझसे तुम्हारा मुरझाया चेहरा देखा नही जाता, मै पुरानी नेहा देखना चाहता हूं, मै बहुत प्यार करता हूं नेहा और तुमसे शादी करना चाहता हूं ” रवि ने उसका हाथ पकड़ कर कहा l
– ” मेरा हाथ छोड़िए, मै तुमसे क्या किसी से भी प्यार नही कर सकती… प्यार करना मेरे लिए पाप है l
-” लेकिन क्यो नेहा? ”
-” तुम समझते क्यों नहीं मै विधवा हूँ और विधवा किसी से प्यार नही कर सकती… विधवा का जीवन सिर्फ एक जिंदा लाश सा होता है उसके लिये खुशिया, प्यार, मुहब्बत सब पाप होता है पाप”

– ” मुझे पता है कि तुम विधवा हो, शादी के एक महीने बाद ही तुम्हारा सिंदूर उजड गया, इसमे तुम्हारा तो कोई दोष नहीं…. उसके साथ ही तुमसे सारी खुशियाँ भी छीन ली गई, तुम्हारी मुस्कुराहट छीन ली गई और तुमने छिन जाने दी, यह अन्याय है नेहा जो तुम अपने साथ कर रही हो” l

-” तुम समझ नहीं रहे हो रवि, यह अभिशप्त जीवन है तुम साथ आए तो तुम्हें भी ग्रहण लग जाएगा ”

-” कुछ भी हो नेहा मेरा फैसला अटल है, आज शादी हो जाने दो उसके बाद मैं अंकल आंटी से बात कर लूंगा…. तुम्हारे हिस्से की खुशियाँ, मुस्कुराहट और मधुमय पल जो इस जहाँ ने तुमसे छीने हैं वो मै तुम्हें देकर ही रहूँगा ”

राघव दुबे
इटावा ( उप्र)
84394 01034…

Language: Hindi
240 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मेरा केवि मेरा गर्व 🇳🇪 .
मेरा केवि मेरा गर्व 🇳🇪 .
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
गुस्सा दिलाकर ,
गुस्सा दिलाकर ,
Umender kumar
सोई गहरी नींदों में
सोई गहरी नींदों में
Anju ( Ojhal )
उसकी बेहिसाब नेमतों का कोई हिसाब नहीं
उसकी बेहिसाब नेमतों का कोई हिसाब नहीं
shabina. Naaz
मदर टंग
मदर टंग
Ms.Ankit Halke jha
आवाजें
आवाजें
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
मेरी सोच मेरे तू l
मेरी सोच मेरे तू l
सेजल गोस्वामी
कोई बात नहीं देर से आए,
कोई बात नहीं देर से आए,
Buddha Prakash
पहले की भारतीय सेना
पहले की भारतीय सेना
Satish Srijan
सत्साहित्य कहा जाता है ज्ञानराशि का संचित कोष।
सत्साहित्य कहा जाता है ज्ञानराशि का संचित कोष।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
रूख हवाओं का
रूख हवाओं का
Dr fauzia Naseem shad
*रिटायर हो गए तो कौन, साहिब कौन चपरासी (हास्य व्यंग्य मुक्तक
*रिटायर हो गए तो कौन, साहिब कौन चपरासी (हास्य व्यंग्य मुक्तक
Ravi Prakash
★भारतीय किसान★
★भारतीय किसान★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
फुटपाथ
फुटपाथ
Prakash Chandra
मासूमियत
मासूमियत
Punam Pande
#दोहा :-
#दोहा :-
*Author प्रणय प्रभात*
जिंदगी
जिंदगी
लक्ष्मी सिंह
भोग कामना - अंतहीन एषणा
भोग कामना - अंतहीन एषणा
Atul "Krishn"
चाय के दो प्याले ,
चाय के दो प्याले ,
Shweta Soni
देखा है जब से तुमको
देखा है जब से तुमको
Ram Krishan Rastogi
आपका स्नेह पाया, शब्द ही कम पड़ गये।।
आपका स्नेह पाया, शब्द ही कम पड़ गये।।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
सरकार~
सरकार~
दिनेश एल० "जैहिंद"
ख़ुदा ने बख़्शी हैं वो ख़ूबियाँ के
ख़ुदा ने बख़्शी हैं वो ख़ूबियाँ के
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
कविता: स्कूल मेरी शान है
कविता: स्कूल मेरी शान है
Rajesh Kumar Arjun
आज का चयनित छंद
आज का चयनित छंद"रोला"अर्ध सम मात्रिक
rekha mohan
कृष्ण कन्हैया
कृष्ण कन्हैया
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
एक छोटी सी रचना आपसी जेष्ठ श्रेष्ठ बंधुओं के सम्मुख
एक छोटी सी रचना आपसी जेष्ठ श्रेष्ठ बंधुओं के सम्मुख
कुंवर तुफान सिंह निकुम्भ
उल्लास
उल्लास
Pt. Brajesh Kumar Nayak
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
दोहे- चरित्र
दोहे- चरित्र
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
Loading...