अटल जी मोहे,मैं नहीं प्याज खायो
अटल जी मोहे,मैं नहीं प्याज खायो,
साझं ढले,जब मण्डी गयो,
तो प्याज का भाव चकरायो,
आलू चौदह,टमाटर चालीस,
प्याज सत्तर बतलायो,
लौकी,तोरी,भिण्डी ,करैला,भी नही ले पायो,
गोभी,मटर को तो भाव ही एसो,
अच्छो अच्छो नहीं ले पायो,
अटल जी मोहे,मैं नही प्याज खायो।
तुम नेता अति भोले,बनियन के झांसे में आयो,
प्याज से हुइ आखें गीलि,अब जेब भी ढीली करायो
संगी साथी,मोहे चिढाते,
दृष्टि अटल और बोट कमल,को तानो हमें सुनायो,
अटल जी मोहे,मैं नही प्याज खायो ।
परमाणु बम को तुम करके धमाको,
पोखरण को अमर बनायो,
कावेरी को करके समझौता,
चार प्रदेशों में जल बंटवायो,
रुठी ललिता तब आखं दिखाती थी,
अब नरम रुख अपनायो,
अटल जी मोहे, मैं नही प्याज खायो।
जब से आपने सत्ता पाई,निर्धनो कि सामत आई,
मिलावटों से मौतें हुई ,नन्ही जाने गवाई,
दें वह अब किसकी दुहाइ, करें लोग जग हंसाइ,
तुम क्यों नही कठोर रुख अपनायो,
अटल जी मोहे,मैं नही प्याज खायो।
बंशी,फारुख,नवीन भैया,ठाकरे,चौटाला,और जया,
ममता,समता,शक्ति लोकय्या,
जेठमलानी की अलग बल्लया,
जुदा जुदा सबका रवैया,
बात बात पर तकरार बढायो,
अटल जी मोहे,मैं नही प्याज खायो।
अडवानी जी हैं पुराने साथी, नई मित्रता जार्ज से भाति, प्रमोद सलाह कार नही भाये,
परदेश में बसुन्धरा काम नआये,
मुरली अपना राग सुनायें,अनन्त टाटा को रुठाये,
यशवन्त उदार रुख अपनाये,
सुदर्शन को यह सब ना भाये,
सुषमा जी के काम घटाये,बादल उधमसिंह पर अड जाये,ठाकरे श्रीकृष्ण पर ताव खाये,
नीतिश लालू पर भडक जाये,खुराना जी कि जुबान फिसल जाये,
एक बला टले तो दुसरी आ जाये,
जसवन्त तब कहाँ कहाँ जायें,
तुम क्यों,उदार रुख अपनायो,
अटल जी मोहे,मैं नही प्याज खायो।