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19 Feb 2021 · 1 min read

अज्ञानता निर्धनता का मूल

अक्षर से कर मित्रता,शूल बनेगा फूल।
होती है अज्ञानता, निर्धनता का मूल।। १

मनुज गरीबी है बना, बहुत बड़ा अभिशाप।
अर्जित करके ज्ञान को,करो दूर संताप।। २

शिक्षा-दीक्षा ताक पर,रखता सदा गरीब।
बचपन बोझा ढ़ो रहा,देता दोष नशीब।। ३

अनपढ़ रहता है दुखी,करे गरीबी वार।
पढ़ लिख कर बनना सुखी,शिक्षा है तलवार।। ४

विद्या में ताकत बहुत,टूटे हर जंजीर।
पढ़ा-लिखा इंसान ही,लिखता है तकदीर।। ५

दीप जलाकर ज्ञान का, करो गरीबी दूर।
शिक्षा है संजीवनी,पाकर बढ़ता नूर।। ६

दूर अँधेरा हो गया,उदय हुआ जब ज्ञान।
अक्षर-अक्षर ज्ञान से, बनता मनुज महान।।७
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 406 Views
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