— अजीब दुनियदारी —
अजब गजब का है जमाना
रोजाना होता है यहाँ फ़साना
बेवजह ही जैसे लगता
चलता जा रहा है जमाना
नित नए देखने को
मिल जाते लोगों के अंदाज
लगता है ऐसे है
जैसे हो गए सब बदहवास
खोने को सब कुछ है यहाँ
पाने को तो क्या पा सकोगे
लेकर जाना नही कुछ यहाँ से
फिर भी लगता जैसे सब पा सकोगे
खेल के खेल, राजनीति की बाते
फ़िल्मी दुनिया के नित नए फ़साने
चलते जा रहे हैं हम सब यहाँ
क्यूं हम भी हैं इस दुनिया के दीवाने
अजीत कुमार तलवार
मेरठ