Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Jan 2017 · 2 min read

अजन्ता के मूर्त-रूप

पाषाण शिला मे सजीव शिल्प अत्यन्त निराला;
अजन्ता के मूर्त-रूप मे प्रकट नारी-सौन्दर्य कला,
शिल्पी के अन्तर भाव छेनीसे निखर निखर चला,
चाहत थी या नहीं राजकीय, प्रेमातुर से रूप मिला!
नायिका की सुंदरता,रूप-अपरूप,अंग-अंग मे खिला,
कहे क्या, शब्द पाषाण, मुखरित हो गई पाषाण शिला;

जब देखता हूँ नजर भर सासें रुक सी जाती,
परी या नदी कोई जैसे चले इतराती-बलखाती;
सर से नख,यौवन भार से इठलाती-लज्जाती,
अल्लड़पन या चंचल-चित्त से लहरों सी लहराती;
यौवनमय,सुन्दर- सलोने देह की छटा बिखराती,
कामदेव की कल्पना सी नायिका,सजीव हो जाती!

शेव्त उदर-जल राशि सम, नाभी ऐसी पड़ी जैसे भँवर,
कटि-तट पर नागिन,-केश-लतायें जैसे घटा छाय अम्बर,
कचनार से अधर पर जैसे फूलों का रस गया हो ठहर,
लाली उसमे जैसे रसमय दाने फैलाए फ़ैला हो असर
सीपों मे बंद मोती से नयन, काज़ल से बचे जो नज़र !
नाजुकता भरा स्पर्श,गोरी गोरी बाँहों से आलिगंन कर।

दाँतों की सफेदी,धवल शेव्त रंग की दे अनुभूति !
घनकेश पिंडली छूता,नागिन कोई सा प्रतिभाति ;
उड़ते आँचल,मधु-कलश वक्ष पर,सुध खो जाती ,
पतली सी कमर लचके जैसे हवा चली बलखाती ;
पैरों के घुंघरू की पैंजनिया लय-मय धुन सूनाती !
रूप गर्विता की सुन्दरता से अप्सरा भी शरमाती।

वस्त्र जो जाय फ़िसल-फ़िसल तंग कंचुकी से,
अंग-अंग की दिखे झलक गुलाब की पंखुडियों जैसे,
नज़र मटकाए,बल खाये,जब देख इतराये पलकों से;
खिली हो कली,सुघन्ध फैलाये, पुष्प बनने की चाह्त से,
इन्द्रधनुष कोई आकर लिपट गया हो गोरी के बदन से;
नख से शिखर तक,जब अंग देखता हूँ तेरा हर नज़र से

नथुनों मे भर गहरे सासों का निशब्द तूफान;
टूट जाता है सब्र,मधु पीने मधुकर है परेशान,
कोमल कपोल,पयोधर वक्ष,कटि सुन्दर सुजान;
उद्भाषित,उन्मिलित,उन्मुक्त मिलन आह्वान!
रती-नायिका,शृंगारिका, कहाँ वस्त्र का ध्यान
अजन्ता के मूर्त-रूप मे नारी-सौन्दर्य महान !

सजन

Language: Hindi
312 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मेरे दिल मे रहा जुबान पर आया नहीं....!
मेरे दिल मे रहा जुबान पर आया नहीं....!
Deepak Baweja
मैं शायर भी हूँ,
मैं शायर भी हूँ,
Dr. Man Mohan Krishna
क्या अजीब बात है
क्या अजीब बात है
Atul "Krishn"
मोहब्बत
मोहब्बत
अखिलेश 'अखिल'
किसी महिला का बार बार आपको देखकर मुस्कुराने के तीन कारण हो स
किसी महिला का बार बार आपको देखकर मुस्कुराने के तीन कारण हो स
Rj Anand Prajapati
#आज_की_बात
#आज_की_बात
*Author प्रणय प्रभात*
माँ शारदे
माँ शारदे
Bodhisatva kastooriya
राम काव्य मन्दिर बना,
राम काव्य मन्दिर बना,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
सार्थक जीवन
सार्थक जीवन
Shyam Sundar Subramanian
सारे सब्जी-हाट में, गंगाफल अभिराम (कुंडलिया )
सारे सब्जी-हाट में, गंगाफल अभिराम (कुंडलिया )
Ravi Prakash
Dard-e-madhushala
Dard-e-madhushala
Tushar Jagawat
साक्षात्कार-पीयूष गोयल(दर्पण छवि लेखक).
साक्षात्कार-पीयूष गोयल(दर्पण छवि लेखक).
Piyush Goel
2531.पूर्णिका
2531.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
योग तराना एक गीत (विश्व योग दिवस)
योग तराना एक गीत (विश्व योग दिवस)
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
दीवार का साया
दीवार का साया
Dr. Rajeev Jain
गम के बगैर
गम के बगैर
Swami Ganganiya
रिहाई - ग़ज़ल
रिहाई - ग़ज़ल
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
मुट्ठी भर आस
मुट्ठी भर आस
Kavita Chouhan
सुख- दुःख
सुख- दुःख
Dr. Upasana Pandey
तुम्हारे लिए
तुम्हारे लिए
हिमांशु Kulshrestha
मेरे शब्द, मेरी कविता, मेरे गजल, मेरी ज़िन्दगी का अभिमान हो तुम।
मेरे शब्द, मेरी कविता, मेरे गजल, मेरी ज़िन्दगी का अभिमान हो तुम।
Anand Kumar
थोड़ा थोड़ा
थोड़ा थोड़ा
Satish Srijan
Image at Hajipur
Image at Hajipur
Hajipur
"कलम और तलवार"
Dr. Kishan tandon kranti
वो सोचते हैं कि उनकी मतलबी दोस्ती के बिना,
वो सोचते हैं कि उनकी मतलबी दोस्ती के बिना,
manjula chauhan
सरसी छंद
सरसी छंद
Charu Mitra
रहे इहाँ जब छोटकी रेल
रहे इहाँ जब छोटकी रेल
आकाश महेशपुरी
जो मासूम हैं मासूमियत से छल रहें हैं ।
जो मासूम हैं मासूमियत से छल रहें हैं ।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
💐प्रेम कौतुक-358💐
💐प्रेम कौतुक-358💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
दोस्त
दोस्त
Neeraj Agarwal
Loading...