अगरचे हक़बयानी लिख रहे हैं
आज़ 06/08/2017 की हासिल
ग़ज़ल
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मुहब्बत की कहानी लिख रहे हैं!!
सनम की हम निशानी लिख रहे हैं!!
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कहा है जिसको तुमने एक पत्थर!!
उसे रब की मिहरबानी लिख रहे हैं!!
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उड़ा क्या आज़ उनका जब दुपट्टा!!
उसे सब रुत सुहानी लिख रहे हैं!!
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मिली जब आज़ माँ की फिर दुआएं!!
सफल ये जिन्दगानी लिख रहे हैं!!
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उठेंगी लाख़ उँगली इस जहां की!!
अगरचे हक़बयानी लिख रहे हैं!!
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बडे़ दिल फेंक आशिक हैं वो “प्रीतम”!!
ज़ईफ़ी को जवानी लिख रहे हैं!!
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प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)