अक्सर
हम तुम्हारी चाहत में अक्सर
मौसम की तरह बदलते हैं ।
कभी दिवाने से लगते हैं
कभी पागल बन कर फिरते हैं ।
तुम दुर नहीं पास लगती हो
ख्यालों में जो रहती हो ।
रुख तुमने हमसे मोड़ा हैं
पर हम जिक्र तुम्हारा करते हैं ।
अशियाना तेरा दुर भला
पर दिल में ही तुम्हें रखते हैं ।
सुनी गलियों में भी चलकर
हम राह तुम्हारी तखते हैं ।
तुम बिन सब सुना लगता है
तो सपनों में मिला करते हैं ।
हम तुम्हारी चाहत में अक्सर
मौसम की तरह बदलते हैं । ।
” काजल सोनी “