अक्षर
अक्षर
शब्दों को बुनते अक्षर
विचारों को संभालते अक्षर
जो नही होते क्षर
निकलते ही हो जाते अमर, अक्षर ।
भाषा लिपि की सीमा से परे अक्षर
प्रकृति की हर ध्वनि को साकार करते अक्षर
ब्रह्माण्ड में समाए अक्षर
जाति धर्म देश प्रदेश से स्वतंत्र अक्षर
आजाद घूमते अक्षर ।
प्रेम नफ़रत में गुथे अक्षर
आत्म को परमात्म से जोड़ते अक्षर
जीव निर्जीव की एहसासों के अक्षर
स्वर्ग नर्क की सीमा से स्वतंत्र अक्षर ।
निकल जाते होकर आजाद अक्षर
कभी नही होते निर्जीव ,अक्षर
इतिहास को वर्तमान में ले आते अक्षर
अपनों का एहसास कराते अक्षर
वजन नही पर वजनदार होते अक्षर ।
तत्व नही किन्तु तत्वज्ञान कराते अक्षर
कभी नही होते क्षर , अक्षर ।