अकोरहा
यह समय बोका के आगे ,लिट्टी चोखा फेल भईल बा।
बढ़ चढ़ के खाये पिये में ,देखा ठेलमठेल भईल बा।
सिंगल इंजिन लेके अकोरहा घूमत रहल खाली खाली,
उहे अकोरहा यह चुनाव में तेजस वाली रेल भईल बा।
चाहत बा उनके कि ,कैसे केकर कुछ व्यय हो जा।
स्वाद मिले बोका के, ऊपर से महुआ मय हो जा।
नशा में बुत्तल का जाने, की केकर केहसे मेल भईल बा।
यह समय बोका के आगे ,लिट्टी चोखा फेल भईल बा।
एक प्रुत्याशी के सपोर्टर दूसरे के रिपोर्टर हे।
सारे प्रत्याशी के यह चुनाव में टॉर्चर पे टॉर्चर हे।
का खिया दी का पिया दी ,बोका दारू हेल भईल बा।
यह समय बोका के आगे ,लिट्टी चोखा फेल भईल बा।
सामने जीत के दावा ,और आड़ में जमानत जब्त भईल।
सामने नेऊर बन के बोलल ,आड़े तेवर सख्त भईल।
हमरे समझ के बाहर बा ,कि कइसन ई खेल भईल बा।
यह समय बोका के आगे ,लिट्टी चोखा फेल भईल बा।
– सिद्धार्थ पाण्डेय