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7 Jul 2021 · 1 min read

अकाश,कुछ बदल पाता

अकाश हाथ का लकीर को पढ़ पाता,कुछ बदल पाता
सबके चेहरे में हंसी नहीं तो मुस्कुराहट तो ला पाता ।

अकाश पसीने भरी ललाट पोछ कर कुछ देख पाता
संसार के सब अंगना में खुशियों को दे पाता ।

अकाश मैं बदलता रुख की हवा को बदल पाता
जो जा चूक है वह गया ,जो बचा वह बचा पाता ।

अकाश राशिफल को जानकर उसे कुछ बदल पाता
जो घट चुका वह घट गया, जो घटा नहीं उसे रोक पाता ।

अकाश मैं परमपिता परमेश्वर का ध्यान लगा पाता
गौतम कुछ नहीं तो थोड़ा बहुत ,बदल पाता।।

गौतम साव

Language: Hindi
4 Likes · 2 Comments · 263 Views
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