अंबर क्यों पियूष कतरों को-लावणी छंद
अंबर क्यों पीयूष कतरों को, सहज भाव संजोता है ।
पलक झपकते नखत स्वाति में, पल भर में ही खोता है ।
टेर पपीहा करता है पर, प्यास न उसकी बुझती है।
अमी स्वाति की एक बूंद जो, जा सागर में मिलती है ।
आस सभी की मिट जाती है, प्यास फिर उमड़ आती है।
धवल चांदनी में खिलकर जब, कमल कली मुस्काती है ।
निमिष मात्र भी टेर प्यार का, क्यों अंबर में होता है ।
अंबर क्यों पीयूष कतरों को, सहज भाव संजोता है।
डा. प्रवीण कुमार श्रीवास्तव ”
प्रेम”
वरिष्ठ परामर्श दाता,
प्रभारी ब्लड बैंक
जिला चिकित्सालय, सीतापुर।
9450022526(मोब)