Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Feb 2018 · 3 min read

अंदेशा (लघुकथा)

इतवार का दिन होते हुए भी स्कूल में गहमा गहमी थी। वार्षिक उत्सव की तैयारी ज़ोरों पर थी। १० वर्ष के मनुज ने डांस प्रैक्टिस कर, गिटार पर हाथ साफ़ करने के इरादे से जैसे ही गिटार उठाया, स्कूल प्राणांग में अचानक उठे शोर ने क्लास के सभी छात्रों -छात्राओं का ध्यान खींच लिया। सभी गलियारे में आ गए। डांस सर एक लड़की को गोद में उठाये चिल्लाते हुए स्कूल एम्बुलेंस की ओर भागे जा रहे थे। प्रिंसिपल मैम , कोहली मैम , हेड गर्ल और कोर्डिनेटर सर उनके पीछे पीछे। एम्बुलेंस के पास भीड़ लग गयी। मनुज ने देखा लहूलुहान और खून से सनी स्कर्ट पहने आठवीं क्लास की छात्रा टीनी दीदी को एम्बुलेंस में डाला जा रहा था। वह सहम गया। प्रिंसिपल मैम ने छुट्टी का ऐलान कर दिया। सभी बच्चों को बस में बिठा दिया गया।
————-
” माँ , आप बिलकुल मेरी चिंता मत करो।….. अभी तो चौथा ही महीना है।….. भुवनेश मेरा खूब ख्याल रखते हैं। मनु के बाद यह दूसरा बच्चा होगा माँ। सभी बहुत खुश हैं।……. भुवनेश और मैं तो बेटी ही चाहते हैं। मनु तो बहन बहन की रट अभी से लगा रहा है।……. नहीं , स्कूल गया है। शाम तक आजायेगा। वार्षिक उत्सव में भाग ले रहा है वह।….. अच्छा रखती हूँ। इनको दोपहर की चाय चाहिए होती है। .. … अच्छा नमस्कार माँ। ” दीक्षा ने मोबाइल बंद कर फ्रिज के पास रख दिया और स्टोव पर चाय के लिए पानी चढ़ा दिया।
———
बस चल पढ़ी। टीनी दीदी उसी बस से आती जाती थी। स्कूल की हेड गर्ल भी उसी बस में थी। सीनियर क्लास की छात्राएं बस में ही उसको घेर कर उससे घटना के बारे में पूछने लगी। कुछ ही देर में सभी लड़कियां अपनी अपनी जगह सहम कर बैठ गयी। लड़के सर झुका नज़रे नहीं मिला रहे थे। मनुज कुछ समझा, कुछ नहीं पर यह वह समझ गया की टीनी दीदी के साथ जो हुआ बहुत बुरा हुआ था।
————
दीक्षा ने भुवनेश को चाय पकड़ाई तो भुवनेश ने उसको अपने पास बिठा कर बड़े प्यार से मुस्कुराते हुए उसके उभरे उदर को सहलाया तो दीक्षा को एक आनंद की सी अनुभूति हुई। “यह क्या कर रहे हो। दरवाज़ा बंद नहीं है।”, दीक्षा ने भुवनेश से मुक्त होने का बहाना सा किया।
“कोई नहीं आएगा। माँ सत्संग में गयी है, मनु शाम से पहले आने वाला नहीं है ” भुवनेश ने उसे अपने बाहुपाश में बाँध लिया।
” अच्छा। नाम सोचा है ” दीक्षा ने फुसफुसाते हुए पुछा।
“हाँ। शुभ्रा। कैसा है ?” भुवनेश ने उसके चेहरे को हथेलियों में समा लिया।
“बहुत अच्छा है। तुम कितने अच्छे हो ” दीक्षा का चेहरा लाल हो गया था।
“पर अगर लड़का हुआ तो। शुभ्रांशु या अनुज। मनुज का भाई अनुज।” भुवनेश दीक्षा को चिढ़ाते हुए बोला।
” नहीं। सोचो मत। मुझको बेटी ही चाहिए इस बार और मनु को बहन ”
“नहीं चाहिए मुझे बहन। बहन नहीं चाहिए। नहीं चाहिए। नहीं चाहिए ” मनुज अंदर दाखिल हो चुका था। बैग उसने सोफे की और उछाल दिया। भुवनेश और दीक्षा दोनों सकते में आ गए।
“क्या हुआ मनु ? तुम तो स्कूल में थे ? ऐसा क्यों कह रहे हो बच्चा ? कल ही तो हमने – तुमने बहन के लिए बार्बी खरीदी।
“नहीं चाहिए मुझे बहन। कहा ना। बस ‘” मनुज चिल्लाते हुए बोला और माँ से लिपट गया। भुवनेश से रहा नहीं गया। उसने मनुज जो अपनी और किया और पुछा , ” मगर क्यों , मनु ? क्यों ?”
” क्यूंकि , उसका रेप हो जाएगा पापा !!! ”
दीक्षा और भुवनेश को काटो तो खून नहीं।
सन्नाटे में दीवारें तक कांप रही थी।
======================================
सर्वाधिकार सुरक्षित /त्रिभवन कौल

Language: Hindi
1 Comment · 567 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सुख दुःख मनुष्य का मानस पुत्र।
सुख दुःख मनुष्य का मानस पुत्र।
लक्ष्मी सिंह
ग्रंथ
ग्रंथ
Tarkeshwari 'sudhi'
अब युद्ध भी मेरा, विजय भी मेरी, निर्बलताओं को जयघोष सुनाना था।
अब युद्ध भी मेरा, विजय भी मेरी, निर्बलताओं को जयघोष सुनाना था।
Manisha Manjari
नफरतों से अब रिफाक़त पे असर पड़ता है। दिल में शक हो तो मुहब्बत पे असर पड़ता है। ❤️ खुशू खुज़ू से अमल कोई भी करो साहिब। नेकियों से तो इ़बादत पे असर पड़ता है।
नफरतों से अब रिफाक़त पे असर पड़ता है। दिल में शक हो तो मुहब्बत पे असर पड़ता है। ❤️ खुशू खुज़ू से अमल कोई भी करो साहिब। नेकियों से तो इ़बादत पे असर पड़ता है।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
#क़तआ (मुक्तक)
#क़तआ (मुक्तक)
*Author प्रणय प्रभात*
2851.*पूर्णिका*
2851.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
भाव गणित
भाव गणित
Shyam Sundar Subramanian
मंगल मय हो यह वसुंधरा
मंगल मय हो यह वसुंधरा
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
रामभक्त शिव (108 दोहा छन्द)
रामभक्त शिव (108 दोहा छन्द)
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
महाशिवरात्रि
महाशिवरात्रि
Seema gupta,Alwar
नारी को सदा राखिए संग
नारी को सदा राखिए संग
Ram Krishan Rastogi
मां के आंचल में कुछ ऐसी अजमत रही।
मां के आंचल में कुछ ऐसी अजमत रही।
सत्य कुमार प्रेमी
हम हिंदुस्तानियों की पहचान है हिंदी।
हम हिंदुस्तानियों की पहचान है हिंदी।
Ujjwal kumar
तुझसे वास्ता था,है और रहेगा
तुझसे वास्ता था,है और रहेगा
Keshav kishor Kumar
अब बस बहुत हुआ हमारा इम्तिहान
अब बस बहुत हुआ हमारा इम्तिहान
ruby kumari
💐💐कुण्डलिया निवेदन💐💐
💐💐कुण्डलिया निवेदन💐💐
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
आप क्या ज़िंदगी को
आप क्या ज़िंदगी को
Dr fauzia Naseem shad
आज के समय में शादियां सिर्फ एक दिखावा बन गई हैं। लोग शादी को
आज के समय में शादियां सिर्फ एक दिखावा बन गई हैं। लोग शादी को
पूर्वार्थ
मानवता दिल में नहीं रहेगा
मानवता दिल में नहीं रहेगा
Dr. Man Mohan Krishna
जब तात तेरा कहलाया था
जब तात तेरा कहलाया था
Akash Yadav
मनमर्जी की जिंदगी,
मनमर्जी की जिंदगी,
sushil sarna
जिया ना जाए तेरे बिन
जिया ना जाए तेरे बिन
Basant Bhagawan Roy
करके याद तुझे बना रहा  हूँ  अपने मिजाज  को.....
करके याद तुझे बना रहा हूँ अपने मिजाज को.....
Rakesh Singh
*माँ गौरी कर रहे हृदय से पूजन आज तुम्हारा【भक्ति-गीत 】*
*माँ गौरी कर रहे हृदय से पूजन आज तुम्हारा【भक्ति-गीत 】*
Ravi Prakash
चाहत
चाहत
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
मसला सिर्फ जुबान का हैं,
मसला सिर्फ जुबान का हैं,
ओसमणी साहू 'ओश'
पिता का पेंसन
पिता का पेंसन
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
गुरु असीम ज्ञानों का दाता 🌷🙏
गुरु असीम ज्ञानों का दाता 🌷🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
Kahi pass akar ,ek dusre ko hmesha ke liye jan kar, hum dono
Kahi pass akar ,ek dusre ko hmesha ke liye jan kar, hum dono
Sakshi Tripathi
"बह रही धीरे-धीरे"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...