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10 Jul 2019 · 1 min read

अंदर की बारिश

एक अरसा हो चुका था
सूखा-सूखा तन-मन
आंखें भी सूख चुकी थीं
किसी के इंतिजार में
कुछ मज़ा नहीं गीत मल्हार में

अधखुली खिड़की से
एक हवा का झोंका आया
हवा में न तपिश, न लू थी
एक जानी पहचानी खुशबू थी
सर्द हवा और बारिश एक साथ

बाहर सूखी जमीन पर
एक अरसे बाद
पानी बरस रहा था
अचानक याद की टीस से
अंदर भी बारिश होने लगी

फर्क सिर्फ इतना था
बाहर की बारिश को
सबने महसूस किया
अंदर की बारिश को सिर्फ मेंने

@ अरशद रसूल

Language: Hindi
2 Likes · 454 Views
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