अंतिम दर्शन ना कर पाए
चले गए चुपचाप जगत से, अंतिम दर्शन ना कर पाए
अस्पताल ले गए थे घर से, लौट ना घर को आए
अंतिम संस्कार में प्रियजन, ना अपनों की भीड़ जुटी
देख जगत का दृश्य भयानक, आंखें रह गईं फटी फटी
खामोश खड़े थे हम भी प्रिय, और आंखें थीं भरी हुईं
धू धू कर जल रहीं चिताएं, श्मशान में लाशें पटी हुईं
ना ऐसा मंजर देखा था, ना ऐंसी बीमारी
सारी दुनिया बेहाल हुई, लाज रखो बनवारी
करो करोना नष्ट प्रभु, मार रहा नर नारी
करोना से स्वर्ग से सिधारी आत्माओं को भगवान शांति प्रदान करें, उनके परिजनों को दुख सहने की शक्ति प्रदान करें। ओम शांति शांति शांति ऊं।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी