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23 Jun 2020 · 6 min read

अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक दिवस 23 जून पर विशेष

अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक दिवस 23 जून ,आधुनिक ओलम्पिक में भारत के सौ वर्ष पर समस्त भारतवासियों को शुभकामनाएं
#पण्डितपीकेतिवारी (सहसंपादक)

दुनियाभर के खिलाड़ियों को एक मंच पर इकठ्ठा कर विभिन्न खेलों में विश्वस्तरीय प्रतिस्पर्धा करवाने वाले खेलों के महाकुंभ ओलंपिक के लिए आज का दिन बेहद खास है। आज 23 जून को दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक दिवस मनाया जा रहा है। ओलंपिक दिवस खेल, स्वास्थ्य, और सबसे अच्छा होने का एक उत्सव है जिसमें दुनियाभर से लोग शामिल होते हैं।

इस खास दिन पर विश्व के अलग-अलग हिस्सों में कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिसमें हर वर्ग के लोग या खिलाड़ी शामिल होते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनियाभर में आज के ही दिन ओलंपिक दिवस क्यों मनाया जाता है और इसका इतिहास क्या है? आइए जानते हैं इसके पीछे की पूरी कहानी के बारे में।

आधुनिक ओलम्पिक खेलों में भारत इस वर्ष अपना 100 वर्षों का सफर पूरा कर रहा है। वैसे ओलम्पिक खेलों की शुरुआत करीब 2796 वर्ष पूर्व ग्रीस में जीयस के पुत्र हेराकल्स द्वारा की गई मानी जाती है किन्तु ऐसी धारणा है कि यह खेल उससे भी काफी पहले से ही खेले जाते रहे थे। 776 ईसा पूर्व विधिवत रूप से शुरू हुए ओलम्पिक खेलों का सिलसिला उसके बाद निर्बाध रूप से 393 ई. तक अर्थात् 1169 वर्षों तक चलता रहा। इन खेलों के माध्यम से ऐसा प्रदर्शन किया जाता था, जो मानव की शक्ति, गति एवं ऊर्जा का परिचायक माना जाता था। प्राचीन ओलम्पिक खेलों का आयोजन ईश्वर को श्रद्धांजलि देने के लिए किया जाता था। हालांकि अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक दिवस मनाए जाने की शुरुआत 23 जून 1948 को हुई थी।

दरअसल आधुनिक ओलम्पिक खेलों का पहला आयोजन तो वर्ष 1896 में शुरू हुआ था लेकिन अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (आईओसी) की स्थापना पियरे द कुबर्तिन द्वारा 23 जून 1894 को की गई थी, जिसके प्रथम अध्यक्ष बने थे यूनानी व्यापारी डेमट्रियोस विकेलास। आईओसी का मुख्यालय स्विट्जरलैण्ड के लॉजेन में स्थित है और वर्तमान में दुनियाभर में 205 राष्ट्रीय ओलम्पिक समितियां इसकी सदस्य हैं। आईओसी के स्थापना दिवस 23 जून को ही बाद में अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति द्वारा प्रतिवर्ष ओलम्पिक दिवस के रूप में मनाया जाना शुरू किया गया। यह दिवस मनाए जाने का प्रमुख उद्देेश्य खेलों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रत्येक वर्ग और आयु के लोगों की भागीदारी को बढ़ावा देना है। आईओसी द्वारा प्रत्येक चार वर्ष के अंतराल पर ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक खेल, शीतकालीन ओलम्पिक खेल और युवा ओलम्पिक खेल का आयोजन किया जाता है। पहला ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक वर्ष 1896 में यूनान के एथेंस में तथा पहला शीतकालीन ओलम्पिक 1924 में फ्रांस के चेमोनिक्स में आयोजित किया गया था। ओलम्पिक दुनिया की सबसे बड़ी खेल प्रतियोगिता है, जिसमें दो सौ से ज्यादा देश हिस्सा लेते हैं।

प्राचीन काल में भी ओलम्पिक खेलों का कितना महत्व था, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ईसा पूर्व पांचवीं शताब्दी में ग्रीस से एक महान् गीतकार पिन्डार ने लिखा था कि जिस प्रकार दिन के समय आकाश में सूर्य के समान गर्म और चमकदार कोई सितारा नहीं होता, उसी प्रकार ओलम्पिक खेलों से बड़ी कोई प्रतियोगिता नहीं है। 776 ई.पू. शुरू हुए ओलम्पिक में एलिस के एक रसोईये कोरोबस ने भी हिस्सा लिया था, जो 210 गज (लगभग 192 मीटर) की नग्न दौड़ में जीतकर प्राचीन ओलम्पिक का प्रथम चैम्पियन बना था। आज भी उसे इतिहास में सबसे पहला ओलम्पिक चैम्पियन माना जाता है। प्राचीन ओलम्पिक 776 ई.पू. से लेकर वर्ष 393 तक हर चार-चार वर्ष के अंतराल पर निरन्तर आयोजित होते रहे किन्तु तब तक इन खेलों में खेल भावना सर्वोपरि होने के बजाय धोखाधड़ी, ईर्ष्या और घटिया शर्तों ने ओलम्पिक में अहम स्थान बना लिया था, जिसके चलते रोमन सम्राट थ्योडॉसियस ने सन् 393 में ओलम्पिक खेलों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया। इस प्रकार ओलम्पिक खेलों का एक बहुत लंबा अध्याय वहीं समाप्त हो गया था।

करीब 1500 वर्ष बाद फ्रांस के युवा शिक्षाशास्त्री पियरे द कुबर्तिन ने आधुनिक ओलम्पिक खेलों की आधारशिला रखी और उनके द्वारा 23 जून 1894 को अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति की स्थापना किए जाने के बाद नए रूप में 1896 से आधुनिक ओलम्पिक खेलों का आयोजन शुरू हुआ। उसके बाद ओलम्पिक खेल प्राचीन ओलम्पिक खेलों की ही भांति हर चार वर्ष के अंतराल पर आयोजित किए जाने लगे। एक जनवरी 1863 को जन्मे पियरे द कुबर्तिन की उम्र उस वक्त सिर्फ सात साल थी, जब 1870 में फ्रैंच-परसियन लड़ाई में जर्मनी ने फ्रांस पर कब्जा कर लिया था। माना जाता है कि उस हार के कुछ वर्षों बाद कुबर्तिन इसका विश्लेषण करने पर इस नतीजे पर पहुंचे कि फ्रांस की हार का कारण उसकी सैन्य कमजोरियां नहीं बल्कि फ्रांसीसी सैनिकों में ताकत की कमी थी। जर्मन, ब्रिटिश और अमेरिकन बच्चों की शिक्षा का अध्ययन करने के बाद कुबर्तिन ने पाया कि उन्हें ताकतवर और हर क्षेत्र में अग्रणी बनाने में खेलों में उनकी भागीदारी की सबसे प्रमुख भूमिका थी जबकि फ्रांसीसी खेलों में भागीदारी के मामले में काफी पिछड़े थे। उसके बाद कुबर्तिन ने कोशिशें की कि फ्रांसीसियों को किसी भी तरह खेलों के प्रति आकर्षित किया जाए। उन्हें इन प्रयासों में उसाहजनक सफलता नहीं मिली किन्तु कुबर्तिन अपने इरादों पर दृढ़ थे।

1890 में कुबर्तिन ने ‘यूनियन डेस सोसायटीज फ्रांसीसीज द स्पोर्ट्स एथलेटिक्स’ नामक एक खेल संगठन की नींव रखी और उसके दो वर्ष बाद कुबर्तिन के दिमाग में ओलम्पिक खेलों को पुनर्जीवन देने का विचार आया। खेल संगठन की 25 नवम्बर 1892 को पेरिस में हुई एक मीटिंग में उन्होंने इस संबंध में अपने विचार भी रखे किन्तु उनके उस भाषण से कुछ हासिल नहीं हुआ। उसके दो वर्षों बाद कुबर्तिन ने 9 देशों के कुल 79 डेलीगेट्स की एक मीटिंग आयोजित की। इस मीटिंग में कुबर्तिन ने पूरे उत्साह से ओलम्पिक खेलों की नए सिरे से पुनः शुरुआत करने संबंधी भाषण दिया और इसबार वह लोगों को अपने विचारों से प्रभावित करने में सफल हुए। कॉन्फ्रेंस में सभी डेलीगेट्स ने एकमत से ओलम्पिक खेल कराए जाने के पक्ष में वोट दिया और तय किया गया कि कुबर्तिन इन खेलों के आयोजन के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय समिति का गठन करें। उसके बाद ‘अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति’ का गठन हुआ, जिसके प्रथम अध्यक्ष के रूप में ग्रीस के डेमट्रियोस विकेलास का चयन हुआ। प्रथम ओलम्पिक खेलों के आयोजन के लिए एथेंस को चुना गया और इसकी तैयारियां शुरू हुई। 5 अप्रैल 1896 को प्रथम आधुनिक ओलम्पिक खेलों की शुरुआत हुई। प्रथम आधुनिक ओलम्पिक खेलों का उद्घाटन 5 अप्रैल 1896 को एथेंस (यूनान) में किंग जॉर्ज पंचम द्वारा किया गया। अमेरिका के जेम्स बी. कोनोली को पहले आधुनिक ओलम्पिक खेल में प्रथम ओलम्पिक चैम्पियन बनने का गौरव हासिल है।

पहले ओलम्पिक खेल की प्रतियोगिताओं में महिलाओं के भाग लेने पर प्रतिबंध था किन्तु सन् 1900 में दूसरे ओलम्पिक में महिलाओं को भी ओलम्पिक खेलों के जरिये अपनी प्रतिभा का परिचय देने का अवसर मिल गया। प्रथम आधुनिक ओलम्पिक में भाग लेने वाले कुछ खिलाड़ी तो ऐसे भी थे, जो उस वक्त एथेंस में ही पर्यटक के तौर पर पहुंचे हुए थे। 1896 से ओलम्पिक खेलों का आयोजन नियमित होता रहा है लेकिन प्रथम व द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण 1916, 1940 तथा 1944 के ओलम्पिक आयोजन रद्द करने पड़े थे। यूनान (ग्रीस), ब्रिटेन, स्विट्जरलैंड, आस्ट्रेलिया तथा फ्रांस ही पांच ऐसे देश हैं, जिन्होंने अबतक हर ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक खेलों में हिस्सा लिया है। ओलम्पिक खेलों के उद्घाटन के समय स्टेडियम में सबसे पहले ग्रीस की टीम प्रवेश करती है। उसके बाद मेजबान देश की भाषानुसार वर्णमाला के क्रम से एक-एक करके दूसरे देशों की टीमें स्टेडियम में प्रवेश करती हैं जबकि मेजबान देश की टीम सबके बाद स्टेडियम में पहुंचती है।

भारत ने पहली बार वर्ष 1900 में ओलम्पिक में हिस्सा लिया था। तब भारत की ओर से केवल एक एथलीट नॉर्मन प्रिचर्ड को भेजा गया था, जिसने एथलेटिक्स में दो सिल्वर मेडल जीते थे। हालांकि भारत ने अधिकारिक तौर पर पहली बार 1920 में ओलम्पिक खेलों में हिस्सा लिया था। इस लिहाज से भारत इस वर्ष अपने ओलम्पिक अभियान के 100 साल पूरे कर रहा है। अबतक ओलम्पिक खेलों में भारत ने कुल 28 पदक जीते हैं, जिनमें 9 स्वर्ण, 7 रजत और 11 कांस्य पदक शामिल हैं। सर्वाधिक पदक भारतीय हॉकी टीम द्वारा जीते गए हैं। बहरहाल, कोरोना के वैश्विक संकट के कारण इस वर्ष ओलम्पिक खेलों को टालने का निर्णय लिया गया है, जो अब अगले वर्ष होने तय हैं।

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Comments · 320 Views
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