अंग्रेजीयत
अंग्रेजीयत…..
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नाता ए बी सी डी से जोड़ लो
क ख ग घ को छोड़ दो
एक दो तीन पुराना हैं
वन टू थ्री का जमाना है
पिताजी बोल शर्म करो
डैडा पर हीं गर्व करो
माँ माई पर क्यों रहना
मौम, मम्मी का क्या कहना
दादा, नाना छूट गए
ग्रेन्डा के हम साथ चले
चाची, मामी कई रिश्ते
एक आंटी से काम चले
भैया में वो बात नहीं
ब्रो से लगती दुनिया नई
दीदी जैसे पिछड़ापन
सीस्स आज का फैशन अब
दादी नानी बोझ लगे
ग्रेण्डी आज की खोज लगे
सुनों साथियों बीत गया
हे गाईज, ब्यापार नया
भारत भारत रहा नहीं
इण्डिया को यह सहन नहीं
गुरुकुल लगते बीते बात
इंग्लिश मीडियम की है शाख।
संगीत शास्त्रीय बोर करे
अब डीजे का दौर चले,
मक्खन, दूध बेकार हुआ
वाईन, बीयर हृदय को छुआ
धोती, साड़ी बोर करे
बिकनी युग में हम हैं खड़े
सभ्यता अपनी पुरानी है
पाश्चात्य की खातिरदारी है
शिष्टाचार का क्या करना
अंग्रेजीयत ही है गहना।।
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पं.संजीव शुक्ल “सचिन”