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24 Nov 2016 · 1 min read

अंगराईयाँ आतुर है

आतुर है
✍✍✍✍✍

अंगराईयाँ चितवन में नाचने लगी यों
केश घटायें मेघ बीच घिरने लगी ज्यों
देख ललाट की छवि छजने लगी यों
ऊषा भरने सूर्य रश्मि उतर आई ज्यों

सनन सनन चलती है पूर्वा पवन से यों
हलचल भरी नव उमंग उमड़े हिय ज्यों
साखी बैठी भोर से साँझ अपलक यों
प्रिया आलिंगन के लिए कोई विधु ज्यों

हास श्वेत दन्तों से निकल गूजता यों
निशा काल में गूँजे खड्ग बिजुली ज्यों
इन्द्रधनुषी रंगों की सतरंगी लालिमा यों
चाँद के वरण को आतुर अप्सरा ज्यों

श्वेत चाँदनी बिछी हुई है अम्बर तले यों
सेज सजी हो चाँदनी की प्रणय को ज्यों
तारकावलियाँ टिमटिमाते मन्द- मन्द यों
अधीर हो मुख देखने चाँदनी का ज्यों

हर रात चाँदनी रहती साथ चाँद के यों
साँसे न रह सके साँसों के बिना ज्यों
प्रणय की गहराई प्रेमी – प्रिय के बीच यों
आगे जिसके सागर थाह फीकी ज्यों

डॉ मधु त्रिवेदी

Language: Hindi
74 Likes · 309 Views
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