Sep 18, 2016 · गज़ल/गीतिका
ग़ज़ल- चलेगी एक तेरी क्या समय बलवान के आगे
ग़ज़ल- चलेगी एक तेरी क्या समय बलवान के आगे
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अगर इतरा रहे हो तुम जो अपनी शान के आगे
चलेगी एक तेरी क्या समय बलवान के आगे
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ये माना आसमाँ का भी तू सीना चीर सकता है
मगर तू जा नहीं सकता कभी शमशान के आगे
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ग़मों की आँधियों में भी खुशी के सिलसिले देखो
कि ग़म टिकता कहाँ कोई तेरी मुस्कान के आगे
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हमारा यार होता तो सभी दुखड़े सुना देता
मगर अच्छा नहीं लगता किसी अनजान के आगे
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अगर वो जा चुका है तो महज रोना है हाथों में
तुम्हारा वश चलेगा क्या कभी भगवान के आगे
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जडें ‘आकाश’ होतीं हैं तभी ये फूल खिलते हैं
मगर वो भूल जाता है जरा पहचान के आगे
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– आकाश महेशपुरी

संक्षिप्त परिचय : नाम- आकाश महेशपुरी (कवि, लेखक) मूल नाम- वकील कुशवाहा माता- श्री मती...

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