Mar 9, 2020 · कविता
होली और कोरोना वायरस
🐾होली और कोरोनावायरस
मौसम तो है होली का पर
कोरोना वायरस की चले पुरवाई।
एक-दूजे को छूना मना है
दूर -दूर से कहते बधाई!
पिचकारी छूटे, न फूटें गुब्बारे,
न गीले रंगों से हो रँगाई।
गुलाल उड़ाकर कह दें सबको,
खेलेंगे हम सूखी होली, ज़रा दूर रहो ओ भाई!
दही-भल्लों से पड़ेगा काम चलाना,
चूँकि गुजियाँ नहीं बन पाई।
गूँथ न पाए ,बेल न पाए आटा,
करते रह गए हाथों की धुलाई।
दिन -ब -दिन यूँ डरा रहा है,
कोरोना वायरस
बनकर निष्ठुर कसाई!
इससे बचने की खातिर ही
सूखी होली मना लो भाई!
बचे रहे यदि इसकी चपेट से,
तो समझना होली मनाई,
अगले बरस हम कर लेंगे
होली की पूरी भरपाई !
खेमकिरण सैनी
9मार्च, 2020


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