
सुख सुन्दर संसार करो
हे राम जगत के सूत्रधार
जगती पर उपकार करो हे !
दिशा-दिशा में धरा-व्योम में
कण-कण में और रोम-रोम में
बसते हो परिपालक बनकर
अपने जन से प्यार करो हे !
हे राम जगत के सूत्रधार
जगती पर उपकार करो हे !
विषम विपत्ति घर के द्वारे
विचर रही है हाथ पसारे
संकट के उद्धारक बनकर
सुख सुन्दर संसार करो हे !
हे राम जगत के सूत्रधार
जगती पर उपकार करो हे !
तुम पर तो विश्वास अटल है
मन अपराजित और सबल है
धरती का सूनापन हरकर
फिर इसका श्रृंगार करो हे !
हे राम जगत के सूत्रधार
जगती पर उपकार करो हे !
अशोक सोनी
भिलाई
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पढ़ने-लिखने में रुचि है स्तरीय पढ़ना और लिखना अच्छा लगता है साहित्य सृजन हमारे अंतर्मन...

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