हुस्न की बिजलियाँ
गिराकर वर्क हुस्न की वो यूँ ही निकल गई
भरी वज्म आशिकों की उन पर मचल गई
कई घायल कई मदहोश कई पागल हो गये
जिन जिन पर उनकी एक दो नजरें फिसल गई
जो रौनक आ जाती है चांद से तारों में
वो रौनक लाती है वो लाख हजारों में
क्या कहने उनको बनाने वाले के
पतझड़ को भी बदल देती है जो बहारों में
चेहरा नवाबी उनका अंदाज नुराली है
कैसे कहुँ शब्दों में उनकी हर बात निराली है
सबसे जुदा वो तो सबसे अलग है
उनका सारा हुस्न कुदरत पर सवालि है
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