Mar 31, 2020 · दोहे
हलवाई सा हो गया,मेरा भी किरदार
रखा नहीं कुछ पास में, जाऊं जो मैं हार !
पड़ा जीतने के लिए,किन्तु सकल संसार !!
बना रहा हूँ आजकल,भिन्न-भिन्न आहार ।
हलवाई सा हो गया,… मेरा भी किरदार ।।
रमेश शर्मा.

दोहे की दो पंक्तियाँ, करती प्रखर प्रहार ! फीकी जिसके सामने, तलवारों की धार! !...

You may also like: