" हम तो तुम्हरे दास हो गये " !!
कमर कटीली ,
भुजदंड कसे !
है रूपगर्विता ,
मद छलके !
नटखट नज़रें ,
हमें छू गई –
हम खुशियों के पास हो गये !!
अरुणिम अधर ,
बोल मीठे !
यौवन के हैं ,
तीर कसे !
आँचर का यों ,
पल्लू थामा –
हम आम थे खास हो गये !!
गहनों का भी ,
भार लदा !
खुशियों ने है ,
तंज़ कसा !
वक़्त देखकर ,
फेरी नज़रें –
हम सचमुच उदास हो गये !!

भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
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