
Jun 11, 2016 · मुक्तक
*सीख*
ऐ सुमन मुरझा नहीँ तू मुस्कुराना सीख ले
मन चमन घबरा नहीँ तू खिलखिलाना सीख ले
प्रीत का पलड़ा रहा है हर घड़ी ही डोलता
वैर को अपने सदा ही तू भुलाना सीख ले
*धर्मेन्द्र अरोड़ा*

*काव्य-माँ शारदेय का वरदान * Awards: विभिन्न मंचों द्वारा सम्मानित

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