
Jun 12, 2016 · कविता
सागर
सूक्ष्म की सतह धरे
लहर का विकार है
अंतः अलंकार पर
रतनों का अम्बार है
नौ पर मुझसे मिलना
सतही मुलाक़ात है
अनगिनित जन्तुओं का
कोख में फुलवार है
अनसुनी ताज़गी लेकर
डूबी नदियां अथार हैं
कहते सागर मुझको
इंसान सा आकर है
~ सूफ़ी बेनाम

आनन्द खत्री (सूफी बेनाम ) (निवासी : नोएडा ) जन्म : २२ फरवरी १९७१ ,...

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