*साक्षात् शक्ति का रूप है नारी*
कभी माँ तो कभी पत्नी है नारी ,
कभी बहन तो कभी बेटी है नारी ।
मत समझना नारी को कमजोर ,
साक्षात् शक्ति का रुप है नारी ।।
कभी फूल तो कभी शोला है नारी ,
कभी दुर्गा तो कभी काली है नारी ।
मत समझना नारी को कमजोर ,
साक्षात् शक्ति का रुप है नारी ।।
एक सिक्के के दो पहलू हैं नर और नारी ,
बनते एक दूसरे के पूरक नर और नारी ।
मत समझना नारी को कमजोर ,
साक्षात् शक्ति का रुप है नारी ।।
क्या आप अपनी पुस्तक प्रकाशित करवाना चाहते हैं?
साहित्यपीडिया पब्लिशिंग द्वारा अपनी पुस्तक प्रकाशित करवायें सिर्फ ₹ 11,800/- रुपये में, जिसमें शामिल है-
- 50 लेखक प्रतियाँ
- बेहतरीन कवर डिज़ाइन
- उच्च गुणवत्ता की प्रिंटिंग
- Amazon, Flipkart पर पुस्तक की पूरे भारत में असीमित उपलब्धता
- कम मूल्य पर लेखक प्रतियाँ मंगवाने की lifetime सुविधा
- रॉयल्टी का मासिक भुगतान
अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें- https://publish.sahityapedia.com/pricing
या हमें इस नंबर पर काल या Whatsapp करें- 9618066119
Copy link to share
You must be logged in to post comments.
Login Create Account