सज्जन का अपमान
दुष्टों का होता रहे,……..जहाँ सदा सम्मान ।
लाजिम है होना वहाँ ,सज्जन का अपमान ।।
सज्जनता का आजकल,यही एक आधार !
ताला रहे जुबान पर,……मांगे नही उधार !!
रमेश शर्मा.

RAMESH SHARMA
मुंबई
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दोहे की दो पंक्तियाँ, करती प्रखर प्रहार ! फीकी जिसके सामने, तलवारों की धार! !...

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