
Jul 29, 2016 · मुक्तक
*सच की आदत*
सच की आदत बहुत बुरी है
कड़वी ये इक तेज छुरी है
कलियुग में अपराध मगर
नैतिकता की नेक धुरी है
*धर्मेन्द्र अरोड़ा*

*काव्य-माँ शारदेय का वरदान * Awards: विभिन्न मंचों द्वारा सम्मानित

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