Jan 13, 2021 · कविता
संघर्ष
फिर से साहस करना होगा,अधिकारो के लिये लड़ना होगा।
सन्ताप नही होगा मन में,
शोणित का उबाल होगा तन में,
मन विचलित हो ऐसा न हो,
गिर के फिर से उठना होगा,
गिर के फिर से उठना होगा।।
निज स्वार्थ नही मेरे मन में,उतरुँगा अब मैं भी रण मे।
बादल संशय के छँट जायेंगे,ना फिर से मान मर्दन होगा,ना फिर से मान मर्दन होगा।।
दिनकर के आते ही जैसे हट जाती है तमस निशा,
ऐसे ही तपकर हमको भी अन्धकार से लड़ना होगा।।
धारण कर तरकश मे धैर्य बाण,मन में कर साहस सन्धान
फिर से युयुत्सू बनना होगा फिर से युयुत्सू बनना होगा।।
उर्मी साहस की आई है,संग अपने उजियारा लाई है,
बाती साहस की प्रज्वलित कर,हमको फिर से जलना होगा,हमको फिर से जलना होगा।।
प्रतिकार करे अन्याय का ,साहस तो करना होगा।
अधिकारो के लिये लड़ना होगा ,अधिकारो के लिये लड़ना होगा
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