
शायरी अंदाज़..........
तुम्हारी हँसी दर्द में भी हँसा जाती है।
जैसे कली फूल बन सुगंध बिखराती है।
मेरे तस्व्वुर में अपनी ज़िन्दगी भर दीजिए,
ऐसे में मुझे शबनम मोती नज़र आती है।
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तेरे स्वागत में मैं अरमान सजाए बैठा हूँ।
इन आँखों को मैं मेजबान बनाए बैठा हूँ।
आकर तुम दिल के मेहमान हो जाओगे,
इस सब्र में मोहब्बते-दीप जलाए बैठा हूँ।
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फूल खिलने से पहले कलियाँ मुस्क़राती हैं।
दिल मिलने से पहले धड़कनें बढ़ जाती हैं।
खिलने-मिलने का अहसास नाजुक है”प्रीतम”,
इस अहसास को पाने में मुद्दतें लग जाती हैं।
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प्यार किया हमने तुमसे ज़िन्दगी की तरह।
खिलाया है दिले-चमन में फूलों की तरह।
ज़िन्दगी के आसमान में तुम छाकर”प्रीतम”,
दिले-भूमि पर बरस जाओ बादल की तरह।
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चाँदनी रात-सी अदाओं ने कायल किया मुझे।
तुम्हारी तिरझी निग़ाहों ने घायल किया मुझे।
तुझे देखकर मैं खुद को भूल गया “प्रीतम”,
रेशमी जुल्फ़ों के सायों ने आयल किया मुझे।
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◆◆◆◆◆◆◆राधेयश्याम बंगालिया “प्रीतम”

