वर्षगांठ अन्वेषा की
अन्वी तुम आई जीवन मे तो मेरा शैशव लौट आया
तेरी मीठी किलकारी से मेरा बचपन जागने लगा
जो चलने को लाचार था तन वह द्रुत गति से भागने लगा
तुम मुसकाईं तो हृदय खिला जीवन वासंती गीत हुआ
सब रोग शोक भी दूर हुए मैं कितने वर्षो बाद हँसा
उल्लास हो,मेरी पुलकन हो,नानी-नाना की धड़कन हो
है मेरा शुभाशीष यही चिर मधुरिम तेरा जीवन हो
प्रभु मेरे सारे वांछित सुख अन्वेषा को वरदान मिलें
इसको दैवी अनुदान मिलें,भगवतगीता का गान मिले

Deepesh Dwivedi
कानपुर
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साहित्य,दर्शन एवं अध्यात्म मे विशेष रुचि। 34 वर्षो से राजभाषा कार्मिक। गृहपत्रिका एवं सामयीकियों मे...

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