वक्त कैसा भी हो बदलता हैै
एक ही बात,हां एक ही बात
रखती हूं याद,हां एक ही बात
वक्त कैसा भी हो,बदलता है…..
समय का पहिया ,चलता है,चलता है।
घड़ी मुश्किलों की हो तो भी कटेगी,
जो बदली हो छाई,तो वो भी छंटेगी
हो अंधियारी कितनी भी रात,
फिर सूरज निकलता है,
वक्त कैसा भी हो,
बदलता है।
अच्छा समय भी आकर जाना है,
फूल खिलेगा तो उसे मुरझाना है,
ये बात याद न हो तो
बदलता वक्त अखरता है,
इसलिए रखती हूं याद
वक्त कैसा भी हो,
बदलता है।
किसी की बदहाली
या अपने अच्छे हाल पर
गुमान न करना साहेब
वक्त ही देता है
उसको पटकनी,
जो सीधे बंदों के साथ
टेढ़ी चाल चलता है।
सुबह के बाद
फिर अंधकार होता है
अंधकार के बाद
फिर सूरज निकलता है।
समय का पहिया चलता है,चलता है ,
वक्त कैसा भी हो, बदलता है ।

योगिता
जबलपुर
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कर्तव्य से प्रशासनिक अधिकारी एवं हृदय से कला प्रेमी।आठ वर्ष की उम्र से विभिन्न विधाओं...

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