लॉकडाउन मजदूर
दर्द इनके देखकर
लफ्ज भी हमारे झुठे लगते हैं
हम घरों में बैठे हैं
वो सड़कों की खाक छान रहे हैं ।
अंतरियों और कंठ में भूख प्यास
के छाले पड़े हो
तो पैरों के छालों की कहानियां
क्या समझेगें हम।।
~रश्मि
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Kumari Rashmi
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