Jan 13, 2021 · कविता
लॉकडाउन को चलो भुनाएं
जो संकट हम पर आया है
वह भी एक अवसर लाया है
आओ इसका लाभ उठाएं
लॉकडाउन को चलो भुनाएं
दिनचर्या हम करें नियंत्रित
सूक्ष्म योग व्यायाम करें हम
घर में रहकर हंसे हंसाए
लॉकडाउन को चलो भुनाएं
घर में रहकर तरह-तरह के
हम भी काम किया करते थे
उन पर हाथ पुनः अजमाएं
लॉकडाउन को चलो भुनाएं
जिन रिश्तो में जंग लग गई
मित्र जो बरसों से न मिले हैं
उन सब से संपर्क बनाए
लॉकडाउन को चलो भुनाएं
जीवन के रेलम पेले में
खुद को खुदा मान बैठे थे
मन से अब यह भरम मिटाएं
लॉकडाउन को चलो भुनाएं
==================
डॉ रीतेश कुमार खरे
प्रवक्ता जंतु विज्ञान
राजकीय महाविद्यालय ललितपुर
This is a competition entry: "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता
Voting for this competition is over.
Votes received: 12
4 Likes · 14 Comments · 31 Views

मेरा जन्म जिला झांसी उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड के स्वर्ग कहे जाने वाले बरुआसागर नामक...

You may also like: