लाॅकडाॅउन से आम जन परेशान
लाॅकडाॅउन की इस महा मारी में,
मैं बैठा हूं इस सोच विचारी में,
क्या होगा उन मजदूरों का,
जो घर से निकला था मजबूरी में,
अचानक घर पर चलना पड़ गया,
सारा बंद लाॅकडाॅउन पड़ गया,
पेदल जाता मन रोता बिखलाया,
कैसे घर पर पहुंचे हम ,
घर वालों की याद आये क़दम क़दम,
सोचा पैसे लेकर जाये ,
बूढ़े और बच्चे घर पर आस लगाए,
पेदल चलते घर पर जाये,
पैसा नहीं अब कहां पर खाना खाते,
पूंछ रहा हैं सरकारों से,
क्या इसीलिए आये थे तुम हमारे द्बारो पे,
आज हम भूखें भटक रहे हैं सड़क गलियारों में,।
लेखक __ Jayvind singh Ngariya जी

Jayvind Singh Ngariya ji
SERSA DATIA Mp
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stueante, iti, B COM, AND writer, समाज सुधारक, नयी दिशाये बताने बाला, अपने फर्ज को...

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