लाजबाब हो गयी
चाहने वालो के लिए एक ख्वाब हो गयी
सब कहते है क़ि तू माहताब हो गयी
जबाब तो तेरा पहले भी नही था
पर सुना है क़ि अब और लाजबाब हो गयी||

शिवदत्त श्रोत्रिय
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हिन्दी साहित्य के प्रति रुझान, अपने विचारो की अभिव्यक्ति आप सब को समर्पित करता हूँ|...

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