Jul 27, 2016 · मुक्तक
*लम्हों*
गुजरे लम्हों को जाने दो
इक नयी सुबह को आने दो
दिल से अब सारे गम भूलो
तुम गीत खुशी को गाने दो
*धर्मेन्द्र अरोड़ा*

*काव्य-माँ शारदेय का वरदान * Awards: विभिन्न मंचों द्वारा सम्मानित

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