
Jun 28, 2016 · मुक्तक
*रिश्तों के आगे*
छोटी ‘सी’ ज़िन्दगानी है
लौट नहीँ फ़िर आनी है
रिश्तों के आगे प्यारों
धन-दौलत बेमानी है
*धर्मेन्द्र अरोड़ा*

*काव्य-माँ शारदेय का वरदान * Awards: विभिन्न मंचों द्वारा सम्मानित

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